सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

शुक्र पर ओजोन की परत, जीवन का संकेत


सौर मंडल के दूसरे ग्रह शुक्र के वायुमंडल में ओजोन की परत का मिलना वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी कुंजी है. दूसरे ग्रहों को समझने के लिए भी सहायता मिलेगी. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जीवन के संकेत इस ग्रह पर मिल सकते हैं
वैज्ञानिक शुक्र ग्रह को कठोर और उथल पुथल वाला ग्रह बताते हैं और इसे नर्क की संज्ञा देते हैं. ऐसे में इस ग्रह पर ओजोन परत के अचानक मिलने से वैज्ञानिक आश्चर्य में हैं
गुरुवार को यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने कहा कि वीनस एक्सप्रेस अंतरिक्ष यान ने पाया है कि सूर्य के नजदीकी ग्रह पर वायुमंडल है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ओजोन की परत का मिलना यहां जीवन के होने का संकेत भी साबित हो सकता है. हालांकि शुक्र पर मिली ओजोन की परत बहुत ही विरल है, इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि यह जीवन के कारण है. लेकिन धरती के वायुमंडल में मिलने वाली ओजोन परत से तुलना कर यह जरूर पता लगाया जा सकता है कि क्या कहीं और जीवन संभव है.
वीनस एक्सप्रेस अंतरिक्ष यान से मिली सूचनाओं का विश्लेषण करने के बाद ईएसए के वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है. डॉयचे वेले से बातचीत में ईएसए के शोधकर्ता फ्रांक मोंटमेसिन ने बताया, "हमें गैस के संकेत मिले हैं. यह अचानक था. हमने ध्यान से स्पेक्ट्रम देखा और हमें कुछ अप्रत्याशित संकेत मिले."
वीनस एक्प्रेस में लगे हुए उपकरण वीनस के वायुमंडल से गुजरते हुए तारों की रोशनी में तरंग दैर्ध्य के बदलाव को नापता है. शोधकर्ता मोंटमेसिन मानते हैं कि इससे पहले मंगल पर ओजोन की परत का मिलना तुलनात्मक रूप से सामान्य बात थी.
जर्मन एरोस्पेस सेंटर में खगोल जीवविज्ञानी आन्या बाउअरमाइस्टर ने डॉयचे वेले से बातचीत में बताया कि आंकड़े इसलिए भी विश्वसनीय हैं क्योंकि यह ग्रह के एकदम पास से लिए गए |  वीनस एक्प्रेस में लगे हुए उपकरण वीनस के वायुमंडल से गुजरते हुए तारों की रोशनी में तरंग दैर्ध्य के बदलाव को नापता है. शोधकर्ता मोंटमेसिन मानते हैं कि इससे पहले मंगल पर ओजोन की परत का मिलना तुलनात्मक रूप से सामान्य बात थी
जर्मन एरोस्पेस सेंटर में खगोल जीवविज्ञानी आन्या बाउअरमाइस्टर ने डॉयचे वेले से बातचीत में बताया कि आंकड़े इसलिए भी विश्वसनीय हैं क्योंकि यह ग्रह के एकदम पास से लिए गए हैं.


अब हमारे सौर मंडल में पृथ्वी सहित मंगल और शुक्र पर ओजोन की परत मिली है. पृथ्वी पर जीवित जीव ऑक्सीजन बनाते हैं. इसे पराबैंगनी रोशनी वायुमंडल की ऊपरी सतह में तोड़ती है. यह अणु ऑक्सीजन के दूसरे अणुओं से मिलकर ओजोन की परत बनाते हैं. रेडिएशन को सोख कर ओजोन की परत ग्रह का तापमान कम करने में मदद करती है.
बाउअरमाइस्टर कहती हैं कि माइक्रोब्स का शुक्र पर पाया जाना अटकलें हैं. वह कहती हैं, "सरल रूप में जीवन वहां ग्रह बनने के साथ ही पैदा हुआ हो सकता है." वीनस पर मिली इस परत का कारण ग्रह के वायुमंडल में सूरज की रोशनी का कार्बन डाइ ऑक्साइड में टूटना है
मोंटमेसिन कहते हैं, "शुक्र बहुत ही कठोर ग्रह है. जैसा कि लोग कहते हैं यह बिलकुल नर्क जैसा है, गर्म और अम्लीय
."
ओजोन की परत अक्सर बायोसिगनेचर मानी जाती है, यानी जीवन का संकेत. बाउअरमाइस्टर कहती हैं, "अगर हमें ओजोन सौरमंडल से बाहर के किसी ग्रह पर मिलती है तो हम नहीं कह सकते कि याहू...हमें जीवन मिल गया है." एक्सो जीवविज्ञानी और खगोल विज्ञानियों का मानना है कि कार्बन डाई ऑक्साइड और ऑक्सीजन के साथ ओजोन का मिलना जीवन होने की संभावना को बल देता है. बाउअरमाइस्टर का कहना है कि मीथेन और ऑक्सीजन भी बायोसिगनेचर के लिए अच्छा है.
मोंटमेसिन का कहना है कि शुक्र के वायुमंडल में मिली ओजोन ग्रह की सतह से सौ किलोमीटर दूर है. शुक्र पर सल्फ्यूरिक एसिड की परत इतनी मोटी है कि वीनस एक्प्रेस को ओजोन की और जांच करने में मुश्किल आ रही है. मोंटमेसिन कहते हैं कि शुक्र के वायुमंडल में गुब्बारे भेजे जा सकते हैं जो आगे की जांच करेंगे. हमें फिर से शुक्र पर जाना होगा और अलग तरह के आंकड़े लेने पड़ेंगे. तब पता लग सकेगा कि वहां जटिल जीव मौजूद हैं या नहीं.
sabhar dw.world.de.




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

क्या है आदि शंकर द्वारा लिखित ''सौंदर्य लहरी''की महिमा

?     ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥  अर्थ :'' हे! परमेश्वर ,हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों  (गुरू और शिष्य) को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें''।      ''सौंदर्य लहरी''की महिमा   ;- 17 FACTS;- 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ सौन्दर्य का

क्या हैआदि शंकराचार्य कृत दक्षिणामूर्ति स्तोत्रम्( Dakshinamurti Stotram) का महत्व

? 1-दक्षिणामूर्ति स्तोत्र ;- 02 FACTS;- दक्षिणा मूर्ति स्तोत्र मुख्य रूप से गुरु की वंदना है। श्रीदक्षिणा मूर्ति परमात्मस्वरूप शंकर जी हैं जो ऋषि मुनियों को उपदेश देने के लिए कैलाश पर्वत पर दक्षिणाभिमुख होकर विराजमान हैं। वहीं से चलती हुई वेदांत ज्ञान की परम्परा आज तक चली आ रही  हैं।व्यास, शुक्र, गौड़पाद, शंकर, सुरेश्वर आदि परम पूजनीय गुरुगण उसी परम्परा की कड़ी हैं। उनकी वंदना में यह स्त्रोत समर्पित है।भगवान् शिव को गुरु स्वरुप में दक्षिणामूर्ति  कहा गया है, दक्षिणामूर्ति ( Dakshinamurti ) अर्थात दक्षिण की ओर मुख किये हुए शिव इस रूप में योग, संगीत और तर्क का ज्ञान प्रदान करते हैं और शास्त्रों की व्याख्या करते हैं। कुछ शास्त्रों के अनुसार, यदि किसी साधक को गुरु की प्राप्ति न हो, तो वह भगवान् दक्षिणामूर्ति को अपना गुरु मान सकता है, कुछ समय बाद उसके योग्य होने पर उसे आत्मज्ञानी गुरु की प्राप्ति होती है।  2-गुरुवार (बृहस्पतिवार) का दिन किसी भी प्रकार के शैक्षिक आरम्भ के लिए शुभ होता है, इस दिन सर्वप्रथम भगवान् दक्षिणामूर्ति की वंदना करना चाहिए।दक्षिणामूर्ति हिंदू भगवान शिव का एक

पहला मेंढक जो अंडे नहीं बच्चे देता है

वैज्ञानिकों को इंडोनेशियाई वर्षावन के अंदरूनी हिस्सों में एक ऐसा मेंढक मिला है जो अंडे देने के बजाय सीधे बच्चे को जन्म देता है. एशिया में मेंढकों की एक खास प्रजाति 'लिम्नोनेक्टेस लार्वीपार्टस' की खोज कुछ दशक पहले इंडोनेशियाई रिसर्चर जोको इस्कांदर ने की थी. वैज्ञानिकों को लगता था कि यह मेंढक अंडों की जगह सीधे टैडपोल पैदा कर सकता है, लेकिन किसी ने भी इनमें प्रजनन की प्रक्रिया को देखा नहीं था. पहली बार रिसर्चरों को एक ऐसा मेंढक मिला है जिसमें मादा ने अंडे नहीं बल्कि सीधे टैडपोल को जन्म दिया. मेंढक के जीवन चक्र में सबसे पहले अंडों के निषेचित होने के बाद उससे टैडपोल निकलते हैं जो कि एक पूर्ण विकसित मेंढक बनने तक की प्रक्रिया में पहली अवस्था है. टैडपोल का शरीर अर्धविकसित दिखाई देता है. इसके सबूत तब मिले जब बर्कले की कैलिफोर्निया यूनीवर्सिटी के रिसर्चर जिम मैकग्वायर इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप के वर्षावन में मेंढकों के प्रजनन संबंधी व्यवहार पर रिसर्च कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें यह खास मेंढक मिला जिसे पहले वह नर समझ रहे थे. गौर से देखने पर पता चला कि वह एक मादा मेंढक है, जिसके